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लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि को बंद करने पर गरमा गई सियासत 

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लोकतंत्र प्रहरी सम्मान 

लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि को बंद करने पर सियासत गरमा गई है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और शांता कुमार की सरकार में शिक्षा मंत्री राधारमण शास्त्री ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्द्धन चौहान का कहना कि चहेतों को लाभ देने के लिए लोक तंत्र प्रहरी सम्मान दिया जा रहा है, यह ज्यादती होगी। अगर वह अपनी बात कहें तो तीस वर्षों से अपनी ही पार्टी में स्वयं उपेक्षित हैं। वह तो मंडल स्तर के भी सदस्य नहीं हैं।

पार्टी के भीतर षड्यंत्रकारियों के कारण कुछ लोग उपेक्षित हो जाते हैं, उनमें वह भी एक हैं। वह व्यक्तिगत सोच पर सोचते हैं कि चहेतों की सूची में वह तो शामिल नहीं हैं। शास्त्री ने शिमला में कहा कि हाल ही में वर्तमान संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्द्धन चौहान का बयान आया है कि जो लोकतंत्र प्रहरी हैं, उन्हें हिमाचल सरकार ने अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के मद्देनजर पेंशन दी है। शास्त्री ने कहा कि 1975 में जब आपातकाल की घोषणा की तो पूरे देश के लिए विकट समय था।

लोकतंत्र की सारी शक्तियां छीन ली गई थीं। किसी को यह भी पता नहीं था कि वे कब जेलों से वापस आएंगे। इनमें लोक नायक जय प्रकाश नारायण अग्रणी रहे। डॉ. मुरली मनोहर जोशी, अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी जैसे लोग जेलों में बंद रहे। हिमाचल में शांता कुमार के साथ हम लोग भी थे, जो जेलों में बंद रहे। उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि यह पेंशन लोक तंत्र प्रहरियों को लगाई जाए।

पिछली सरकार को दिया था देरी से पेंशन न लगाने का सुझाव 

राधारमण शास्त्री बोले कि तत्कालीन सरकार को भी सुझाव दिया था कि तीन-चार साल सरकार बने हो गए हैं। अब इसका कोई औचित्य नहीं रह जाता है। उन्होंने कहा था कि सरकार बदली तो यह बंद भी हो सकती है। उस वक्त इस कार्य से जुड़े मंत्री ने कहा था कि वे इसे विधानसभा में कानून बनाएंगे। उस वक्त उन्हें यह भी कहा था कि जब बहुमत की सरकार को तो कानून तो बदल जाता है। इसका समय नहीं है। पर जब लग गई तो इसे अस्वीकार करना भी बहुत मुश्किल था।

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