राजीव गांधी डे-बोर्डिंग
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पष्ट किया है कि राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल एसडीएम हैडक्वार्टर पर ही खुलेंगे। उपमंडल मुख्यालय के आसपास तीन से चार किलोमीटर के दायरे में इसके लिए जमीन ढूंढी गई है। यदि सरकारी जमीन नहीं मिली, तो निजी भूमि खरीदने के लिए भी राज्य सरकार ने 300 करोड़ रुपए रखे हैं। वह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर समेत कुछ अन्य विधायकों के सवालों का जवाब दे रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पूर्व सरकार की अटल आदर्श विद्यालय योजना को बंद नहीं करेगी और यह योजना चलती रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी क्षेत्र में प्राइमरी के एक छात्र पर सरकार 36000 रुपए खर्च कर रही है। राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल एसडीएम हैडक्वार्टर के आसपास ऐसी जगह पर होगा, जहां 3-4 प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को इसमें शिफ्ट किया जा सके।
इसके लिए 50 बीघा या 100 कनाल भूमि चाहिए होगी। इसमें से 10 से 12 बीघा जमीन में सिर्फ प्लेग्राउंड ही बनेंगे। यदि जरूरत पड़ी तो सरकार निजी भूमि भी खरीदेगी। राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल में क्लस्टर प्री-प्राइमरी से शुरू होगा, जो सीनियर सेकेंडरी तक जाएगा। जहां पानी की उपलब्धता होगी, वहां स्कूल में ही स्विमिंग पूल भी बनाएंगे। सभी 68 चुनाव क्षेत्रों में शहर विधानसभा क्षेत्र में ऐसा एक स्कूल बनेगा। अभी तक 46 चुनाव क्षेत्रों में सिर्फ फोरेस्ट लैंड मिली है और इसका एफसीए केस बना दिया गया है। 22 जगह सरकारी लैंड चिन्हित की गई है। इसमें से नौ चुनाव क्षेत्रों में लैंड ट्रांसफर भी हो गई है। इनमें इंदौरा, जसवां प्रागपुर, पालमपुर, किन्नौर, ऊना, हरोली, कुटलैहड़, गगरेट और बड़सर शामिल हैं। इससे पहले यह सवाल नाचन से भाजपा विधायक विनोद कुमार और आनी से भाजपा विधायक लोकेंद्र कुमार ने पूछा था। इसका जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बताया कि विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि सब डिवीजन मुख्यालय या तहसील मुख्यालय के आस-पास ही जमीन हो। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने पूछा कि जब सरकारी स्कूलों में भी डे-बोर्डिंग ही हैं, तो राजीव गांधी के नाम पर बन रहे स्कूलों में क्या अंतर होगा?