प्रदेश में बढ़ रही फलों
प्रदेश में फलों की पैदावार करने वाले क्षेत्र में इजाफा हो रहा है। एक दशक में प्रदेश में फलोत्पादन का रकबा 30 हजार हेक्टेयर के करीब बढ़ा है। उगाए जाने वाले क्षेत्र और उत्पादन की दृष्टि से सेब सबसे आगे है। प्रदेश में फलों को उगाने के लिए क्षेत्र का विस्तार लगातार होता रहा और अब यह 235785 हेक्टेयर तक जा पहुंचा है। सेब, आम, नारंगी, नाशपाती, बेर, आड़ू, गलगल और खुमानी प्रमुख बागबानी फसलें हैं। फलोत्पादन की दृष्टि से 2010-11 का साल स्वर्णिम माना जा सकता है, जब एक नए रिकार्ड के साथ फलोत्पादन का आंकड़ा दस लाख मीट्रिक टन के पार जा पहुंचा। 2010-11 में प्रदेश में 211295 हेक्टेयर क्षेत्र में फल लगाए गए थे और सेब की 892112 मीट्रिक टन बंपर फसल के साथ फलों का कुल उत्पादन 1027821 मीट्रिक टन रहा। 2007-08 में प्रदेश में 200502 मीट्रिक टन रकबा फलोत्पादन के अधीन था। इस क्षेत्र में एक दौर ऐसा भी आया जब उत्पादन का आंकड़ा चार लाख मीट्रिक टन को भी नहीं छू पाया। 2006-07 प्रदेश में 369103, 2009-10 में 382237 और 2011-12 में 372823 मीट्रिक टन फल ही प्रदेश में तैयार हो पाए थे। 2021-22 में कुल फल उत्पादन 7.54 लाख टन था, जबकि 2022-23 (दिसंबर तक) में उत्पादन 7.93 लाख टन रहा। ऊंचे क्षेत्रों में ही पैदा होने वाला सेब अब मैदानी व गर्म इलाकों में भी सेब उगाया जाने लगा है।
सूखे फल तथा मेवे
सेब के अतिरिक्त समशीतोषण फलों के अंर्तगत वर्ष 1960-61 में 900 हेक्टेयर से बढक़र 2021-2022 में 27911 हेक्टेयर हो गया है। सूखे फल तथा मेवों का क्षेत्र 1960-61 के 231 हेक्टेयर से बढक़र 2022-22 में 9786 हेक्टेयर तथा नींबू प्रजाति व उपोषण कटिबंधीय फलों का क्षेत्र 1960-61 के 1225 हेक्टेयर तथा 623 हेक्टेयर से बढक़र 2021-22 में क्रमश: 25096 हेक्टेयर तथा 56976 हेक्टेयर हो गया है।
सेब का सबसे अहम रोल हिमाचल प्रदेश में फलोत्पादनमें सेब का प्रमुख स्थान है, जिसके अंतर्गत फलों के अधीन कुल क्षेत्र का लगभग 48.8 प्रतिशत है तथा उत्पादन कुल फल उत्पादन का लगभग 81 प्रतिशत है। वर्ष 1950-51 मे सेबों के अंतर्गत 400 हेक्टयेर क्षेत्र था, जो कि 1960-61 मे बढक़र 3025 हेक्टेयर तथा वर्ष 2021-22 में 115016 हेक्टेयर हो गया। 2007-08 से 2021-22 तक की अवधि में सेब उत्पादन का क्षेत्र 21.4 फीसदी बढ़ा है।