किसान हुए परेशान
आलू की चार माह वाली फसल पकने में महज 20 दिन का समय शेष है। इस बीच मंडियों में आलू के दाम काफी कम हो गए हैं। बड़ी मंडियों में आलू के थोक भाव 350 रुपये प्रति क्विंटल है। अगर यही दाम कायम रहे तो किसानों के लिए फसल पर किया खर्च पूरा करना भी मुश्किल हो जाएगा। जानकारी के अनुसार ऊना के मैदानी क्षेत्रों में करीब 600 हेक्टेयर भूमि पर आलू की खेती होती है। अधिकतर खेती स्वां नदी के आसपास सिंचाई व्यवस्था वाले इलाकों में होती है। ऐसे इलाकों में अधिकतम भूमि रेतीली होती है और किसानों को फसल की सिंचाई करनी पड़ती है।
फसल के लिए बीज भी किसानों को स्वयं खरीदना पड़ता है। अच्छी पैदावार के लिए खाद और बीमारियों से बचाव के लिए कीटनाशकों का छिड़काव भी समय समय पर किया जाता है। कुल मिलाकर एक कनाल भूमि पर फसल तैयार करने के लिए 10,000 रुपये तक का खर्च आ जाता है। वहीं, एक कनाल में आलू की पैदावार 12 क्विंटल तक होती है। मौजूदा दाम के हिसाब से तो एक कनाल के आलू की कीमत 8,750 रुपये तक ही बनती है।
दो माह वाली फसल से दोगुनी पैदावार, दाम कम
आलू की चार माह वाली फसल की पैदावार शानदार रहती है। उत्पादन अक्तूबर से दिसंबर के बीच तैयार होने वाली दो माह वाली फसल के मुकाबले दोगुना होता है। दो माह वाली फसल को दाम अधिक मिलते हैं। एक क्विंटल के दाम 1500 से 2500 रुपये तक रहे थे।